शनिवार, 31 अक्टूबर 2020

भए प्रगट कृपाला (श्री राम स्तुति) बालकाण्ड से

भए प्रगट कृपाला दीन दयाला कौशल्या हितकारी ।
हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी।।
लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी।
भूषण बनमाला नयन विशाला सोभासिंधु खरारी।।1।।




अर्थ : दीनों पर दया करने वाले, कौशल्या जी के हितकारी कृपालू प्रभू प्रकट हुए। मुनियों के मन को हरने वाले उनके अद्भुत रूप का विचार करके माता हर्ष से भर गई। नेत्रों को आनन्द देने वाला मेघ के समान श्याम शरीर था, चारों भुजाओं में अपने खास आयुध धारण किए हुए थे, दिव्य आभूषण और वनमाला पहने थे, बड़े बड़े नेत्र थे। इस प्रकार शोभा के समुद्र तथा खर राक्षस को मारने वाले भगवान प्रकट हुए।।1।।




कह दुइ कर जोरी स्तुति तोरी केहि बिधि करहु अनंता।
माया गुन ज्ञानातीत अमाना बेद पुरान भनंता।
करुणा सुख सागर सब गुण आगर जेहि गावहीं श्रुति संता।
सो मम हित लागी जन अनुरागी भयउ प्रगट श्री कंत।  ।।2।।


अर्थ : दोनों हाथ जोड़कर माता कहने लगी हे अनंत ! मैं किस प्रकार तुम्हारी स्तुति करूं। वेद और पुराण तुमको माया, गुण और ज्ञान से परे और परिणाम रहित बताते हैं। श्रुतियां और संतजन दया और सुख का समुद्र, सब गुणों का धाम कहकर जिनका गान करते हैं, वही भक्तों को प्रेम करने वाले लक्ष्मीपति भगवान मेरे कल्याण के लिए प्रकट हुए हैं।।2।।




ब्रह्मांड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति बेद कहै।
मम उर सो बासी यह उपहासी सुनत धीर मति थिर ना रहै।।
उपजा जब ज्ञाना प्रभु मुसुकाना चरित बहुत विधि कीन्ह चहै।
कहि कथा सुहाई मातु बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै।।3।।

अर्थ : वेद कहते हैं कि तुम्हारे प्रत्येक रोम में माया के रचे हुए अनेकों ब्रह्मांडो के समूह हैं। तुम मेरे गर्भ में रहे इस हँसी की बात के सुनने पर विवेकी पुरुषों की बुद्धि भी स्थिर नहीं रहती। जब माता को ज्ञान उत्पन्न हुआ, तब प्रभु मुस्कुराये।वे बहुत प्रकार के चरित्र करना चाहते हैं। अतः उन्होंने पूर्व जन्म की सुन्दर कथा कहकर माता को समझाया, जिससे उन्हें पुत्र का वात्सल्य प्रेम प्राप्त हो।।3।।



माता पुनि बोली सो मति डोली तजहु तात यह रूपा।
कीजै शिशुलीला अति प्रिय सीला यह सुख परम अनूपा।।
सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होई बालक सुरभूपा।
यह चरित जे गावहिं हरिपद पावहीं ते न परहिं भवकूपा।।4।।

अर्थ : माता की वह बुद्धि बदल गई, तब वह फिर बोली हे तात ! यह रूप छोड़कर अत्यंत प्रिय बाल लीला करो, मेरे लिए यह सुख परम अनुपम होगा। माता का यह वचन सुनकर देवताओं के स्वामी सुजान भगवान ने बालक का रूप धारण कर रोना शुरू कर दिया। तुलसी दास जी कहते हैं कि जो इस चरित्र का गान करते हैं, वे श्री हरि का पद पाते हैं और फिर संसार रूपी कूप में नहीं गिरते।।4।।




दोहा : बिप्र धेनु सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार।
         निज इच्छा निर्मित तनु माया गुन गो पार।।

अर्थ : ब्राम्हण, गौ, देवता और संतों के लिए भगवान ने मनुष्य का अवतार लिया। वे माया और उसके गुण और इन्द्रियों से परे हैं। उनका दिव्य शरीर अपनी इक्षा से ही बना है।।

हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे, हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
सियावर रामचन्द्र जी की जय पवनसुत हनुमान जी की जय 🙏🙏🌹🌹

गुरुवार, 22 अक्टूबर 2020

श्री राम स्तुति (श्री राम चन्द्र कृपालु भजमन)

श्री राम चन्द्र कृपालु भजमन हरण भव भय दारूणम, 
नवकंज लोचन कंज मुख कर कंज पद कंजारूणम।।
कंदर्प अगणित अमित छवि नव नील नीरद सुंदरम,
पट पीत मानहू तरित रुचि सूचि नौमी जनक सूतावरम।।
भजु दीन बन्धु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम,
रघुनंद आनंद कंद कोशल चंद दशरथ नंदनम।।
शिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदारु अंग विभूषणम,
आजानुभूज सरचाप धर संग्राम जित खरदूषणम।।
इति वदती तुलसी दास शंकर शेष मुनि मनरंजनम,
मम हृदय कंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम।।
मनु जाहूं राचही मिलही सो बर सहज सुन्दर साँवरो,
करुणा निधान सुजान शील सनेह जानत रावरो।।
एहि भाँति गौरी अशीष सुनि सिय सहित हिय हरसी अली,
तुलसी भवानी पूजी पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली।।

दोहा : जानि गौरी अनुकूल सिय, हिय हरसी ना जाय कही,
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे।।

सिया वर राम चन्द्र जी की जय पवन सुत हनुमान जी की जय 🙏🙏🙏🙏🌺🌺🌺🌺❤️❤️❤️❤️🙇🙇🙇🙇
     

बुधवार, 21 अक्टूबर 2020

भगवान विष्णु के 108नाम

भगवान विष्णु को पूरे जगत का पालनहार कहा जाता है। सभी देवी देवता उन्हीं के प्रतिरूप हैं। श्री हरि विष्णु माता लक्ष्मी के साथ क्षीर सागर में निवास करते हैं। उनके अनेकों नाम हैं। उनके अनेक नामों से ये उनके 108 नाम और उसके अर्थ इस प्रकार हैं।


अक्षर:
1 .विश्वम : जो जगत का कारण स्वरूप परब्रह्म है।
2. विष्णु : जो सबमें रहनेवाला है।
3. भूतकृत : जो रजोगुण और तमोगुण के आश्रय से सृष्टि तथा प्रलय करनेवाला ब्रम्हा व रुद्ररूप है।
4. भूतभृत : जो सत्व गुण के आश्रय से धारण तथा पोषण करने वाला विष्णु रूप है।
5. परमात्मा : जो कार्य कारण से विलक्षण रूप, नित्य, शुद्ध, बुद्ध तथा मुक्त स्वभाव वाला है।
6 . साक्षी : जो साक्षात् समस्त संसार का दृष्टकोण है।
7 . अक्षर: : जो टलने वाला नहीं है।
8 . योग: : समस्त ज्ञानेंद्रियां और मन से जीवात्मा तथा परमात्मा दोनों में एक भावना करना योग है।
9 . श्रीमान: जो निरन्तर लक्ष्मी को वक्ष: स्थल से धारण करने वाला है।
10. केशव: :जो सुंदर केश धारी है, अथवा केशी नामक दैत्य का नाश करने वाला है।
11. पुरुषोत्तम: क्षर जो जड़ पदार्थ हैं उनसे मै परे हूं और अक्षर जो चेतन है उनका मैं प्रेरक होने से अक्षर से भी उत्तम हूं, इन्हीं कारणों से श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा है अथवा जो पुरुषों में उत्तम हैं अर्थात् जीव और ईश्वर दोनों से परे शुद्ध ब्रम्ह है।


12. शिव: : संहार काल में समस्त जिसमें शयन करें, अथवा जो सत्व, रज और तम इन तीनों गुणों से रहित होने से शुद्ध है।
13. भूतादि: : जी समस्त भूतों के आदि कारण हैं।
14. निधिरव्यय: :जो अविनाशी निधि हैं।
15. सम्भव: : जगत जिससे प्रादुरभूत हो।
16. भावन: : जो समस्त प्राणियों के फल प्रदान की भावना करने वाला है।
17. प्रभवः : जो दिव्य जन्म वाला है।
18. प्रभु: :जो समस्त कार्य में सामर्थ्य रखने वाला है।
19. ईश्वर: : जो समस्त ऐश्वर्यवान है।
20. स्वयंभू: : जो स्वयं बिना सहायता के प्रकट होता है।
21. शम्भु: :जो भक्तों के लिए सुख की भावना करता है।
22. आदित्य: : जो देवमाता अदिति में वामन होकर प्रकट होने वाला है।
23. पुष्क राक्ष: : जो कमल के समान नेत्र वाला है।
24. अनादिनिधन: : जो जन्म और विनाश से रहित है।
25. थाता : जो अनंत आदि रूप से जगत को धारण करने वाला है।
26. विधाता : जो जगत के कर्म तथा फल रचने वाला है।
27. अप्रमेय: : जो प्रत्यक्ष, अनुमान, उपमान और शब्दादी प्रमाणों से भी निश्चय ज्ञान का विषय ना हो।
28. अमरप्रभू: : जो देवताओं का प्रभु है।
29. मनु: : जो मननशील हैं।
30. स्थविष्ठ: : जो अतिशय करके स्थूल हैं।
31. श्रीकांत : अद्भुत सौंदर्य के स्वामी।
32. सुरेशम : सभी जीव जंतुओं के स्वामी।
33. योगिनंपति : योगियों के स्वामी।
34. सर्वेश्वर : समस्त देवों से ऊंचे।
35 . सर्वपालक . सभी का पालन करने वाले।
36 . अचला : भगवान।
37 . अच्युत : जिसने कभी कोई भूल न की हो।
38 .अनया  : जिनका कोई स्वामी न हो।
39 .अद्भुत:  : अद्भुत प्रभु।
40 .अनंत जीत : हमेशा विजयी होने वाले।
41 .आदिदेव : देवताओं के स्वामी।
42 .अनंता : अंतहीन प्रभु।
43 .आनन्द सागर : कृपा करने वाले।
44 .अजन्मा : जिनकी शक्ति असीम और अनंत हो।
45 .कृष्ण : सभी को अपनी ओर आकर्षित करने वाला।
46 .श्याम : सांवले रंग वाला।
47 .नागर : सुंदर।
48 . मोहन : सम्मोहित करने वाला।
49 .नन्द लाला : नन्द बाबा के पुत्र।
50 .वासुदेव : वसुदेव के पुत्र।
51. गोपाल : गऊओं का पालन करने वाले।
52. यदुपति : यादवों के मालिक।
53. यदुवंशी : यदु वंश का अवतार धारण करने वाले।
54. रास रचैया : रास रचाने वाले।
55. गोपेश : गोपियों के मालिक।
56. रुक्मिणी वल्लभ : रुक्मिणी के पति।
57. पार्थसारथी : अर्जुन के सारथी।
58. सखा : अर्जुन और सुदामा के साथ मित्रता निभाने वाले।
59. असुरारी : असुरों के शत्रु।
60. मुरारी : मुर नामक दैत्य के शत्रु।
61. कुंज बिहारी : कुंज गली में विहार करने वाले।
62. रण छोर : युद्ध भूमी से भागने वाले।
63. छलिया : छल करने वाले।
64. रमण : हमेशा अपने आनन्द में लीन रहने वाले।
65. पालनहार : सबका पालन करने वाले।
66. हरि : दुखों का हरण करने वाले।
67. अच्युत :  जिसके धाम से कोई वापस नहीं आता।
68. मनोहर : बहुत ही सुन्दर रंग रूप वाले।
69. जगदीश : जगत के मालिक।
70. गुड़ाकेश : निद्रा को जीतने वाले।
71. हृषिकेश : इन्द्रियों को जीतने वाले।
72. त्रिविक्रमा : तीनों लोकों के विजेता।
73. स्वर्गपति : स्वर्ग के राजा।
74. पूर्ण परब्रम्ह : देवताओं के भी मालिक।
75. चक्रधारी : सुदर्शन चक्र को धारण करने वाले।
76. उपेन्द्र : इंद्र के भाई।
77. बैकुंठ नाथ : स्वर्ग में निवास करने वाले।
78. देवेश : देवों के ईश।
79. मनमोहक : सबका मन मोहने वाले।
80. मुरलीमनोहर : मुरली बजाकर मन मोहने वाले।
81. नारायण : सबको शरण में लेने वाले।
82. निरंजन : सर्वोत्तम।
83. मनमोहन : सबका मन मोहने वाले।
84. मदन : प्रेम के प्रतीक।
85. मुरलीधर : मुरली धारण करने वाले।
86. परब्रम्ह : परम सत्य।
87. परमात्मा : सभी प्राणियों के प्रभु।
88. परमपुरुष : श्रेष्ठ व्यक्ति।
89. मधुसूदन : मधु दानव का वध करने वाले।
90. पद्महस्ता  : कमल के समान हाथ वाले।
91. पद्मनाभ : कमल के समान नाभी वाले।
92. प्रजापति : सभी प्राणियों के नाथ।
93. पुण्य : निर्मल व्यक्तित्व।
94. पुरषोत्तम : उत्तम पुरुष।
95. रविलोचन : सूर्य जिनका नेत्र है।
96. सहस्त्रा काश : हज़र आँख वाले प्रभु।
97. सहस्त्र जित :  हजारों को जीतने वाले।
98. साक्षी : समस्त देवों के गवाह।
99. सनातन : जिनका कभी अंत न हो।
100. सर्वजन : सबकुछ जानने वाला।
101. अजया : जीवन और मृत्यु के विजेता।
102. अक्षरा : अविनाशी प्रभु।
103. बलि : सर्व शक्तिमान।
104. चतुर्भुज : चार भुजाओं वाले।
105. दयालु : करुणा के भंडार।
106. ज्ञानेश्वर : ज्ञान के भगवान।
107. दानवेन्द्रो : वरदान देने वाले।
108. बालगोपाल : भगवान श्रीकृष्ण का बाल रुप।

                  जय जय श्री राधे जय श्री कृष्णा🙏🙏🌹🌹 हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे 🙏🙏🌹🌹



Lord Vishnu is called Palanhar of the whole world.  All Gods and Goddesses are his counterparts.  Shri Hari Vishnu resides in Kshir Sagar with Mata Lakshmi.  They have many names.  These are his 108 names and their meanings from his many names.



 Characters:

 1. Vishwam: One who is the cause of the world is Parbrahma.

 2. Vishnu: One who lives in all.

 3. Bhootakrit: One who is the creator and destroyer of Brahma and Rudrarup from the shelter of Rajoguna and Tamoguna.

 4. Bhootbhrit: The Vishnu form which bears and nourishes from the shelter of sattva quality.

 5. Parmatma: The work which is due to reason is unique, regular, pure, Buddha and free-spirited.

 6.  Witness: Which is the vision of the whole world.

 7.  Characters: Which is not going to pass.

 8.  Yoga: Yoga is to make one feeling in both the soul and the divine with all the senses and the mind.

 9.  Sriman: who is constantly wearing Lakshmi from the chest.

 10. Keshava: One who is beautiful hair stripper, or destroyer of a monster called Keshi.

 11. Purushottama: I am far from the root substance of Kshar and I am better than the alphabet of the alphabet which is conscious, for the same reason, Shri Krishna has said to Arjuna or to those who are good in men, that is, both living beings and God.  Beyond is pure brahma.



 12. Shiva: In the destruction period, all in which to sleep, or which is pure by being devoid of all these three elements Sattva, Raja and Tam

 13. Bhootadi:: Yes, all ghosts have initial causes.

 14. Nidhirvayya: Those who are indestructible funders.

 15. Possible:: the world from which to acclimate.

 16. Bhavana:: One who is the spirit of providing the fruits of all beings.

 17. Prabhavah: One who is of divine birth.

 18. Lord: One who is capable in all work.

 19. God:: who is all glorious.

 20. Swayambhu:: One who manifests himself without help.

 21. Shambhu:: One who feels a sense of happiness for the devotees.

 22. Aditya:: who is about to appear in Vamana in Devamata Aditi.

 23. Pushka Raksha:: One who has eyes like lotus.

 24. Anadinidhan:: who is devoid of birth and destruction.

 25. Thata: One who holds the world in infinite form.

 26. Vidhata: One who creates the deeds and fruits of the world.

 27. Incomparable:: Which is not a matter of definite knowledge even by direct, inference, inference and verbal evidence.

 28. Amarprabhu:: who is the lord of the gods.

 29. Manu: Those who are contemplative.

 30. Stabhistha: which are grossly gross.

 31. Srikanth: lord of amazing beauty.

 32. Suresham: Lord of all living beings.

 33. Yoginampati: The lord of yogis.

 34. Sarveshwara: Higher than all the gods.

 35.  Omnipotent  Followers of all.

 36.  Achla: God.

 37.  Achyut: One who has never made a mistake.

 38. Anya: Who has no owner.

 39. Amazing:: Wonderful lord.

 40. Endless victory: always victorious.

 41 .Adideva: Lord of the Gods.

 42 .Ananta: Endless Lord.

 43. Anand Sagar: Those who are pleased.

 44. Ajanma: Whose power is infinite and infinite.

 45.Krishna: One who attracts everyone.

 46 .Shyam: Dark-colored.

 47 .Nagar: Beautiful.

 48.  Mohan: The hypnotist.

 49. Nand Lala: son of Nand Baba.

 50 .Vasudeva: son of Vasudeva.

 51. Gopala: Followers of Gau.

 52. Yadupati: the master of the Yadavas.

 53. Yaduvanshi: Those who incarnate the Yadu dynasty.

 54. Ras Rachaiya: Creator of Ras.

 55. Gopesh: Owner of Gopis.

 56. Rukmini Vallabh: Rukmini's husband.

 57. Parthasarathy: Charioteer of Arjuna.

 58. Sakha: Befriends Arjun and Sudama.

 59. Asuari: Enemies of Asuras.

 60. Murari: Enemies of a monster called Mura.

 61. Kunj Bihari: Viharas in Kunj Gali.

 62. Rann Chor: Those who flee from battle ground.

 63. Trick: Trickler.

 64. Raman: Always absorbed in your joy.

 65. Palanhar: Followers of all.

 66. Hari: The remover of sorrows.

 67. Achyuta: From whose abode no one comes back.

 68. Manohar: Very beautiful complexion.

 69. Jagdish: the master of the world.

 70. Gudakesh: Who conquers sleep.

 71. Hrishikesh: Those who conquer the senses.

 72. Trivikrama: winner of all three worlds.

 73. Swargapati: King of heaven.

 74. Purna Parbramah: Owner of the Gods.

 75. Chakradhari: Those holding the Sudarshan Chakra.

 76. Upendra: Brother of Indra.

 77. Baikuntha Nath: Resident in heaven.

 78. Devesh: Ish of Gods.

 79. Adorable: Everyone's fascinated.

 80. Muralimohar: People who are fascinated by playing Murali.

 81. Narayan: One who takes refuge in everyone.

 82. Niranjan: Best.

 83. Manmohan: Everyone's fascination.

 84. Madan: Symbols of love.

 85. Muralidhar: Murali wearer.

 86. Parbramah: The Ultimate Truth.

 87. Paramatma: Lord of all beings.

 88. Param Purush: Best person.

 89. Madhusudan: The slayer of the Madhu demon.

 90. Padmahasta: One with lotus like hands.

 91. Padmanabha: A man with a similar navel.

 92. Prajapati: Nath of all beings.

 93. Virtue: Serene personality.

 94. Purushottama: Best man.

 95. Ravilochan: Surya who has an eye.

 96. Millennium wish: God with hazar eyes.

 97. Sahasra Jit: Those who win thousands.

 98. Sakshi: Witness of all devas.

 99. Sanatan: Never Ending.

 100. Sarvajan: One who knows everything.

 101. Ajaya: winner of life and death.

 102. Akshara: Indestructible Lord.

 103. Bali: All-powerful.

 104. Quadrilateral: Four-sided.

 105. Merciful: Reserves of compassion.

 106. Dnyaneshwar: Lord of knowledge.

 107. Danavendro: the boon-giver.

 108. Balagopal: Child form of Lord Krishna.


 Jai Jai Shree Radhe Jai Shree Krishna Hare Krishna Hare Krishna Krishna Krishna Hare Hare, Hare Rama Hare Rama Rama Rama Hare Hare 🙏🙏🌹🌹

रविवार, 18 अक्टूबर 2020

दुर्गा मां के 108 नाम अर्थ सहित

भगवति में मां दुर्गा का नाम सर्वप्रथम आता है।माता को आदिशक्ति के रुप में पूजा जाता है। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूप को पूजा जाता है। कहते हैं इन नवों दिन जो माता की पूजा सच्चे मन से करते हैं माता की उनपर असीम कृपा होती है।

दुर्गा मां के 108 नाम और उसके अर्थ:

1. भवानी : ब्रह्माण्ड में निवास करने वाली।
2. साध्वी : आशावादी।
3. सती : अग्नि में जलकर भी जीवित रहने वाली।
4. आर्या : देवी ।
5. दुर्गा : अपराजेय ।
6. भव प्रीता : भगवान भोले शंकर पर प्रीति रखने वाली।
7. जया : विजयी।
8. आद्य : शुरुवात की वास्तविकता।
9. भवमोचनी : सांसारिक बंधनों से मुक्त करने वाली।
10. त्रिनेत्रा : तीन आंखों वाली।
11. शूल धारिणी : शूल धारण करने वाली।
12. पिनाक धारिणी : शिव का त्रिशूल धारण करने वाली।
13. चित्रा : सुंदर।
14. चंद्रघंटा : प्रचण्ड स्वर से घण्टा नाद करने वाली।
15. सुधा : अमृत की देवी।
16. मन : मनन शक्ति।
17. बुद्धि : सर्वज्ञाता।
18. अहंकार : अभिमान करने वाली।
19. चिंतरूपा : वह जो सोच की अवस्था में हो।
20. चिता : मृत्युशय्या।
21. चिति : चेतना।
22. सर्वमंत्रमयी : सभी मंत्रो
 का ज्ञान रखने वाली।
23. सत्ता :  जो सबसे ऊपर है।
24. सत्यानंद स्वरूपिणी : अनंत आनंद का रुप।
25. अनंता : जिनके स्वरूप का कहीं अंत न हो।
26. भाविनी : सबको उत्पन्न करने वाली।
27. भव्या : भावना एवं ध्यान करने योग्य।
28. भव्या : कल्याण करने वाली।
29. अभव्या : जिससे बढ़कर भव्य कुछ नहीं।
30. देवमाता : देवताओं की माता।
31. शांभवी : शिव की प्रिया।
32. सदागति : हमेशा गति में।
33. चिंता : चिंता।
34. रत्नप्रिया : गहनों से प्यार करने वाली।
35. सर्वविद्या : ज्ञान का निवास।
36. दक्ष कन्या : दक्ष की पुत्री।
37. दक्ष यज्ञविनाशिनी : दक्ष के यज्ञ को रोकने वाली।
38. अनेकवर्णा : अनेक रूप रंगों वाली।
39. अपर्णा : तपस्या के समय कुछ ( पत्ते)भी न खाने वाली।
40. पाटला : लाल रंग वाली।
41. पाटला वती :  गुलाब के फूल।
42. पट्टांबर परिधाना : रेशमी वस्त्र धारण करने वाली।
43. कलामंजिरा रंजिनी : पायल को धारण कर प्रसन्न रहने वाली।
44. अमेय : जिसकी कोई सीमा ना हो।
45. विक्रमा : असीम पराक्रम वाली।
46. सुन्दरी : सुंदर रूपों वाली।
47. क्रूरा : दैत्यों के प्रति कठोड़।
48. सुरसुंदरी : बहुत ज्यादा सुंदर रूपों वाली।
49. वनदुर्गा : जंगलों की देवी।
50. मातङ्गी : मतंगा की देवी।
51. ब्राम्ही : ब्रम्हा जी की शक्ति।
52. मातंग मुनि पूजिता : बाबा मतंगा द्वारा पूजनीय।
53. माहेश्वरी : शिव की शक्ति।
54. इंद्री : इंद्र की शक्ति।
55. कौमारी : किशोरी।
56. चामुण्डा : चण्ड और मुंड का वध करने वाली।
57. वैष्णवी : अजेय।
58. वाराही : वराह पर सवार होने वाली।
59. लक्ष्मी : सौभाग्य की देवी।
60. पुरुषाकृति : जो पुरुष का रुप धारण कर ले।
61. ज्ञाना : ज्ञान से भरी हुई।
62. विमिलोत्कर्षी नी : आनन्द प्रदान करने वाली।
63. क्रिया : हर कार्य में होने वाली।
64. नित्या : अनन्त।
65. बुद्धि दा : ज्ञान देने वाली।
66. बहुला : विभिन्न रुपों वाली।
67. बहुलप्रेमा : सर्व प्रिय, सभी को प्रिय लगने वाली।
68. सर्ववाहन वाहना : सभी वाहन पर विजय प्राप्त करने वाली।
69. महिषासुरमर्दिनी: महिषासुर का वध करने वाली।
70. निशुंभ शुम्भ हननी : शुम्भ निशुंभ का वध करने वाली।
71. मधु कैटभ हंत्री : मधु और कैटभ का वध करने वाली।
72. चण्ड मुंड विनाशिनी : चण्ड और मुंड का नाश करने वाली।
73. सर्व दानव घाती नी : संहार के लिए शक्ति रखने वाली।
74. सर्वशास्त्रमई : सभी सिद्धान्तों में निपुण।
75. सत्या : सच्चाई।
76. सर्वास्त्र धारिणी : सभी शस्त्रों को धारण करने वाली।
78. अनेकास्त्र धारिणी : अनेक हथियारों को धारण करने वाली।
79. कुमारी : सुंदर किशोरी।
80. अनेक शस्त्र हस्ता : कई हथियार धारण करने वाली।
81. एककन्या : कन्या।
82. कैशोरी : जवान लड़की।
83. युवती : नारी।
84. यति : तपस्वी।
85. अप्रौढ़। : जो कभी पुराना नहीं हो।
86. प्रौढ़ा : जो पुराना है।
87. वृद्ध माता : शिथिल।
88. घोररूपा : भयंकर दृष्टिकोण वाली।
89. बलप्रदा : शक्ति देने वाली।
90. महोदरी : ब्रह्माण्ड को संभालने वाली।
91. मुक्तकेशी : खुले बाल वाली।
92. महाबला : अपार शक्ति वाली।
93. रौद्रमुखी : विध्वंशक रुद्र की तरह भयानक चेहरे वाली।
94. महाबला : अपार शक्ति वाली।
95. कालरात्रि : काले रंग वाली।
96. तपस्विनी : तपस्या में लगे हुए।
97. नारायणी : भगवान नारायण की विनाशकारी रूप।
98. भद्रकाली : काली माता का भयंकर रूप।
99. अग्निज्वाला : मार्मिक आग की तरह।
100. जलोदरी : ब्रह्माण्ड में निवास करने वाली।
101. परमेश्वरी : प्रथम देवी।
102. विष्णुमाया : भगवान विष्णु का जादू।
103. शिवदूती : भगवान शिव की राजदूत।
104. कात्यायनी : ऋषि कात्यायन द्वारा पूजनीय।
105. सावित्री : सूर्य की बेटी।
106. प्रत्यक्षा : वास्तविक।
107.ब्रह्मवादिनी : वर्तमान में हर जगह वास करने वाली।
108. अनंता : विनाश रहित, जिसका विनाश नहीं हो सकता।
       जय माता दी 🙏🙏🌹🌹
       
Maa Durga's name comes first in Bhagwati. The mother is worshiped as Adishakti.  The nine forms of Maa Durga are worshiped in Navratri.  It is said that on these ninth days, those who worship the mother with a sincere heart have immense grace on their mother.


 108 names of Durga Maa and its meanings:


 1. Bhavani: Resident in the universe.

 2. Sadhvi: Optimistic.

 3. Sati: One who survives by burning in fire.

 4. Arya: Goddess.

 5. Durga: Unbeatable.

 6. Bhava Preeta: Precious to Lord Bhole Shankar.

 7. Jaya: victorious.

 8. Adya: Reality of Inception.

 9. Bhavamochani: Freeing from worldly bonds.

 10. Trinetra: Three-eyed.

 11. Shul Dharini: One who wears a shool.

 12. Pinak Dharini: One who carries the trident of Shiva.

 13. Figure: Beautiful.

 14. Chandraghanta: One who makes a loud noise with a loud voice.

 15. Sudha: Goddess of nectar.

 16. Mind: Contemplation power.

 17. Wisdom: omniscience.

 18. Ego: Proud.

 19. Chintarupa: One who is in a state of thinking.

 20. Chita: Mortuary.

 21. Chiti: Consciousness.

 22. Sarvamantramayee: All mantras

 Knowledgeable

 23. Power: The one who tops.

 24. Satyananda Swaroopini: Form of infinite bliss.

 25. Ananta: Whose form has no end.

 26. Bhavini: One who produces all.

 27. Bhavya: Worthwhile to meditate and meditate.

 28. Bhavya: One who performs welfare.

 29. Abhaya: Nothing more grand than this.

 30. Devamata: Mother of Gods.

 31. Shambhavi: Priya of Shiva.

 32. Sadgati: Always in motion.

 33. Anxiety: Anxiety.

 34. Ratnapriya: A lover of jewels.

 35. Sarvavidya: the abode of knowledge.

 36. Daksha Kanya: Daughter of Daksha.

 37. Daksha Yajnavinashini: The one who stops the Yajna of Daksha.

 38. Aanyavarna: Multicolored colors.

 39. Aparna: Not to eat anything (leaves) at the time of penance.

 40. Patla: Red color.

 41. Patla Vati: Rose flowers.

 42. Pattambar Paridhana: Wearing silk clothes.

 43. Kalamanjira Ranjini: Happy to be wearing Payal.

 44. Ameya: who has no limit.

 45. Vikrama: One with immense power.

 46. ​​Sundari: Beautiful.

 47. Crura: a devotion to the demons.

 48. Surasundari: Very beautiful.

 49. Vanadurga: Goddess of the forests.

 50. Matangi: Goddess of Matanga.

 51. Brahmī: The power of Brahma Ji.

 52. Mathang Muni Pujita: Worshiped by Baba Matanga.

 53. Maheshwari: The power of Shiva.

 54. Indri: the power of Indra.

 55. Kaumari: Kishori.

 56. Chamunda: One who slaughters Chand and Mund.

 57. Vaishnavi: invincible.

 58. Varahi: To be riding on Varaha.

 59. Lakshmi: Goddess of good fortune.

 60. Purushakriti: One who assumes the form of a man.

 61. Gnana: Full of knowledge.

 62. Vimilotkarshi Ni: One who gives joy.

 63. Verb: occurring in every action.

 64. Nitya: eternal.

 65. Wisdom da: One who gives knowledge.

 66. Bahula: Different forms.

 67. Bahulāpramaya: Loved by all, beloved by all.

 68. Sarvavahana Vahna: One who conquers all vehicles.

 69. Mahishasuramardini: The slayer of Mahishasura.

 70. Nishumbh Shumbha Hanni: Shubh is the one who killed Nishumbha.

 71. Madhu Catabh Hantri: To slay Madhu and Catabh.

 72. Chand Mund Nishtini: One who destroys Chand and Mund.

 73. Sarva Demon Ghati Ni: The one possessing the power for destruction.

 74. Sarvashtramai: Proficient in all principles.

 75. Satya: Truth.

 76. Sarvastra Dharini: One who carries all the weapons.

 78. Anekastra Dharini: One holding many weapons.

 79. Kumari: Beautiful teenager.

 80. Many weapons Hasta: Wearer of many weapons.

 81. Ekakanya: Virgo.

 82. Cashori: young girl.

 83. Maiden: Woman.

 84. Yeti: ascetic.

 85. Obsolete.  : Which are never out of date.

 86. Adult: One who is old.

 87. Older Mother: Relaxed.

 88. Ghorroopa: Horrible attitude.

 89. Balaprada: One who empowers.

 90. Mahodari: The one who handles the universe.

 91. Muktakeshi: One with open hair.

 92. Mahabala: One with immense power.

 93. Raudramukhi: Destroyer Rudra with terrible face.

 94. Mahabala: One with immense power.

 95. Kalratri: Black colored.

 96. Tapaswini: engaged in penance.

 97. Narayani: Destructive form of Lord Narayana.

 98. Bhadrakali: The fierce form of Kali Mata.

 99. Agnijwala: Like poignant fire.

 100. Jalodari: Resident in the Universe.

 101. Parameshwari: First Goddess.

 102. Vishnumaya: The magic of Lord Vishnu.

 103. Shivduti: Ambassador of Lord Shiva.

 104. Katyayani: Worshiped by the sage Katyayana.

 105. Savitri: Surya's daughter.

 106. Pratyaksha: Actual.

 107.Brahmavadini: Currently inhabiting everywhere.

 108. Ananta: without destruction, which cannot be destroyed.


            Jai mata di🙏🙏🌹🌹

रविवार, 11 अक्टूबर 2020

तंदूरी पनीर टिक्का रेसिपी

तंदूरी पनीर टिक्का में लगने वाली सामग्री:.
1. पनीर:400ग्राम
2. दही:250ग्राम
3. भूना जीरा पाउडर:2 टेबल स्पून
4. काली मिर्च पाउडर:2 टेबल स्पून
5. चाट मसाला: 1 टेबल स्पून
6. कश्मीरी लाल मिर्च पाउडर:2 टेबल स्पून
7. कसूरी मेथी: 2 टेबल स्पून
8. गरम मसाला: 1 टेबल स्पून
9. बेसन:4 टेबल स्पून भूना हुआ
10. सरसो का तेल: 4 टेबल स्पून
11. बटर: पनीर टिक्का को सेकने के लिए
12. शिमला मिर्च: 2 बड़े साइज़ का
13. प्याज़: 2 बड़े साइज़ का
14. नमक: स्वादानुसार

गुरुवार, 8 अक्टूबर 2020

कच्चे केले की सरसो मसाले वाली सब्ज़ी

सामग्री: 
1.कच्चा केला: 6
2.पीली सरसों:4 टेबल स्पून
3.लहसुन:12से14 बड़ी कलियां
4.प्याज़: 2 मीडियम साइज के
5.टमाटर:2 मीडियम साइज के
6.धनियां पाउडर:2 टेबल स्पून
7.जीरा पाउडर:2 टेबल स्पून
8.हल्दी पाउडर:1 टेबल स्पून
9.लाल मिर्च पाउडर:2 टेबल स्पून
10.पांच फोरन:1 टेबल स्पून
11.सरसो तेल:6से7 बड़े चम्मच
12.तेजपत्ता:2
13.नमक: स्वादानुसार

मंगलवार, 6 अक्टूबर 2020

गोंद के लड्डू

सामग्री:
गोंद:250ग्राम
बूरा या खांड:1.5 kg
काजू:250 ग्राम
बादाम:250 ग्राम
 एक नारियल का गोला: कदुकस किया हुआ
गेहूं का आटा: 2 kg
घी : 1.5 kg



बनाने की विधि:
गैस पर एक बड़ा पैन गरम करें फ़िर आंच को धीमी करके उसमें थोड़ा थोड़ा करके गेहूं का आटा और जितने घी में आटा अच्छे से भून जाए उतना घी डाल कर, पूरे आटे को अच्छे से  सुनहरा होने तक भून लें।
               अब उसी पैन में घी डालकर गरम करें जब घी अच्छे से गरम हो जाए तो उसमें गोंद डालकर उसे फ्राई करके निकाल लें।
 गोंद को थोड़ा ठंडा करके उसे इमाम दस्ते या हाथों से दरदरा कर लें। बादाम और काजू को भी मिक्सी में दरदरा पीस लें। 
                अब एक बड़ा परात लें और उसमें भूना हुआ गेहूं का आटा डाल कर फ़िर उसमें बूरा, काजू और बादाम जो हमने दरदरा पीस कर रखा था, कदूकस किया हुआ नारियल , गोंद और घी डालकर सबको हाथ से अच्छे से मिक्स करेंगे। इसमें पानी बिल्कुल नहीं डालना है।
               थोड़ा थोड़ा घी डालकर आटे को तब तक मिलाते रहेंगे जब तक कि लड्डू बंधने लगे। अब दोनों हाथों से दबा दबा कर अपने मनचाहे आकार के लड्डू बना लें। 
                पूरा ठंडा होने पर लड्डू को किसी डब्बे में रखकर उसका ढ़क्कन अच्छी तरह से बंद कर दें ताकि उसमें हवा नहीं लगे।
गोंद के लड्डू सर्दियों में बहुत फायदेमंद होते हैं, इसमे भरपूर मात्रा में कैल्शियम और आयरन होते हैं। ये बहुत ही हेल्दी और टेस्टी होते हैं।
               नोट: लड्डू बनाने के लिए आटे में पानी बिल्कुल भी नहीं डालें पूरा घी डालकर ही लड्डू बनाना है।
 

material:

 Gum: 250 grams

 Boora or khand: 1.5  kg

 Cashew: 250 grams

 Almonds: 250 grams

 Coconut ball: one grated

 Wheat flour: two kilos

 Ghee: 1.5 kg


 recipe:

 Heat a large pan on the gas, then reduce the flame and add wheat flour little by little, and fry the whole dough until it becomes golden brown.

 Now put ghee in the same pan and heat it. When the ghee gets hot, add gum in it and fry it.  After cooling the gum a little, put it in Imam Squad or Mixi and grind coarsely.  Grind the almonds and cashews coarsely in the grinder.  Now take a big bowl and put roasted wheat flour in it, then add the boora, cashew nuts and almonds which we had coarsely grinded, add grated coconut, gum and ghee and mix them well by hand.  Do not add water to it at all.  Add little bit of ghee and keep stirring the flour till the laddus begin to bind.  Now press it with both hands to make laddus of your choice.  After it is completely cooled, keep the ladoo in a box and close its lid well so that there is no air in it.

 Gum laddoos are very beneficial in winter.  They are very healthy and tasty.

 Note: To make laddus, do not put water in the flour at all; you have to make laddus by adding whole ghee.



, श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 6 से लिया गया श्लोक संख्या 26

यतो यतो निश्चलति मनश्चचञ्चलमस्थिरम्। ततस्ततो नियम्यैतदात्मन्येव वशं नयेत्।।26।। अनुवाद श्रील प्रभुपाद के द्वारा  : मन अपनी चंचलत...