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गुरुवार, 31 मार्च 2022

श्री बांके बिहारी जी की आरती

श्री राधा सलिल तेरी आरती गाउं,
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाउं।।
आरती गाउं प्यारे आपको रिझाऊं,
आरती गाउं प्यारे तुमको रिझाऊं।।
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाउं,
श्री राधा सलिल तेरी आरती गाउं ।।
मोर मुकुट प्यारे शीश पे सोहे ,
प्यारी वंशी मेरो मन मोहे।।
मैं देख छवि बलिहारी जाऊं,
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाउं।।
चरणों से निकली गंगा प्यारी,
जिसने सारी दुनिया तारी।।
मैं उन चरणों के दर्शन पाऊं,
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाउं।।
दास अनाथ के नाथ आप हो,
दुख सुख जीवन प्यारे साथ आप हो।।
मैं उन चरणों पे शीश झुकाऊं,
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाउं।।
श्री हरिदास के प्यारे तुम हो,
मेरे मोहन जीवन धन हो।।
मैं देख युगल छवि बली बली जाऊं,
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाउं।।
आरती गाउं प्यारे आपको रिझाऊं,
मैं आरती गाउं प्यारे हृदय में बसाऊं।।
श्री राधा सलिल तेरी आरती गाउं,
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाउं।।
          श्री वृंदावन बिहारी लाल की जय हो 🙏🙏🌺🌺🥰🥰
          जय जय श्री राधे 🙏🙏🌺🌺🌺🌺🥰🥰

, श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 6 से लिया गया श्लोक संख्या 26

यतो यतो निश्चलति मनश्चचञ्चलमस्थिरम्। ततस्ततो नियम्यैतदात्मन्येव वशं नयेत्।।26।। अनुवाद श्रील प्रभुपाद के द्वारा  : मन अपनी चंचलत...