प्रनवऊं पवनकुमार खल बन पावक ग्यानघन।
जासु हृदय आगार बसहिं राम सर चाप धर।।
अतुलित बलधामं हेमशैलाभदेहं,
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामगग्रगणयम्।
सकलगुणनिधानं वानरानामधीशं,
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।
गोष्पदीकृतवारीशं मशकीकृतराक्षसम् ,
रामायण महामालारत्नं वन्देनिलात्मजम् ।।
अंजनानन्दनं वीरं जानकीशोकनाशम् ,
कपीशमक्षहन्तारं वन्दे लंकाभयंकरम्।।
उल्लंघ्य सिन्धो: सलिलं सलीलं य: शोकवन्हिं जनकात्मजाया:।
आदाय तेनैव ददाह लंका नमामि तं प्रांञ्जलिराञ्जनेयम्।।
मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये।।
आञ्जनेयमतिपाटलाननं काञ्चनाद्रिकमनीयविग्रहम्।।
पारिजाततरुमूलवासिनं भावयामि पवनमानन्दनम्।।
यत्र तत्र रघुनाथकीर्तनं तत्र तत्र कृतमस्तकाञ्जलिम्।
वाष्पवारिपरिपूर्णलोचनं मारुतिं नमत राक्षसान्तकम्।।
श्री हनुमान जी महाराज की जय🙏🙏🌺🌺
श्री हनुमान जी की आरती
आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपै।
रोग - दोष जाके निकट न झांके।।
अंजनि पुत्र महा बलदाई।
संतन के प्रभु सदा सहाई।।
दे बीरा रघुनाथ पठाए।
लंका जारि सिया सुधि लाये।।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई।
जात पवन सुत बार न लाई।।
लंका जारि असुर संहारे।
सिया राम जी के काज संवारे।।
लक्ष्मण मूर्छित पङे सकारे।
आनि संजीवन प्राण उबारे।।
पैठि पताल तोरी यमकारे।
अहिरावण के भुजा उखारे।।
बाएं भुजा असुर दल मारे।
दहिने भुजा संत जन तारे।।
सुर नर मुनि जन आरती उतारे।
जय जय जय हनुमान जी उचारे।।
कंचन थार कपूर लौ छाई।
आरती करत अंजना माई।।
जो हनुमान जी की आरती गावै।
बसि बैकुन्ठ परम पद पावै।।
सिया वर रामचन्द्र जी की जय🙏🙏🌺🌺
पवन सुत हनुमान जी की जय🙏🙏🌺🌺