भगवती स्तोत्रम लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
भगवती स्तोत्रम लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

मंगलवार, 13 अप्रैल 2021

दुर्गा स्तोत्रम और क्षमा प्रार्थना

जय भगवति देवि नमो वरदे, जय पाप विनाशिनी बहु फल दे।
जय शुंभ निशुंभ कपालधरे , प्रणमामी तु देवि नरारती हरे।।1।।
जय चंद्र दिवाकरनेत्रधरे , जय पावकभूषितवक्त्रवरे।
जय भैरवदेहनिलीनपरे, जय आंधकदैत्यविशोषकरे।।2।।
जय महिष विमर्दिनी शूलकरे, जय लोकसमस्तकपापहरे।
जय देवि पितामहविष्णुनते, जय भास्करशक्रशिरोवनते।।3।।
जय षणमुखसायुधईशनूते, जय सगरगामिनी शम्भुनुते।
जय दुखदरिद्रविनाशकरे, जय पुत्रकलत्रविवृद्धिकरे।।4।।
जय देवि समस्तशरीरधरे, जय नाकविदर्शिनी  दुखहरे।
जय व्याधिविनाशिनी मोक्ष करे, जय वांक्षितदायिनी सिद्धिवरे।।5।।
  एतदव्यासकृतं स्तोत्रं यः पठेन्नियतः शुचिः।
   गृहे वा शुद्धभावेन प्रीता भगवती सदा।।6।।





                      क्षमा प्रार्थना
अपराधसहस्त्राणि क्रियंते हर्निशं मया।
दसोयामिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरी।।1।।
आवाहनम न जानामि न जानामि विसर्जनम।
पूजां चैव न जानामि क्षम्यताम परमेश्वरी।।2।।
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तीहीनं सुरेश्वरी।
यत्पुजीतं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे।।3।।
अपराधशतं कृत्वा जगदम्बेति चोच्चरेत।
यां गतीं समवापनोति न तां ब्रह्मादयः सुरा:।।4।।
सापराधोस्मी शरणं प्राप्तस्तवान जगदम्बिके।
इदानीमनुकंप्योहं यथेच्छसि तथा कुरु।।5।।
अज्ञानाद्विस्मृतेर भ्रान्त्या यन्नयुनमधिकं कृतम।
तत्सर्वं क्षम्यताम देवि प्रसीद परमेश्वरी।।6।।
कामेश्वरी जगनमातः सच्चिदानंद विग्रहे।
गृहाणार्चामीमां प्रीत्या प्रसीद परमेश्वरी।।7।।
गुह्यातिगुह्यगोप्त्री त्वं गृहाणास्मत्कृतं जपम ।
सिध्धिर्भवतु मे देवि त्वत्प्रसादात्सुरेश्वरि।।8।।
     
जय माता दी 🙏🙏🌺🌺❤️❤️





, श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 6 से लिया गया श्लोक संख्या 26

यतो यतो निश्चलति मनश्चचञ्चलमस्थिरम्। ततस्ततो नियम्यैतदात्मन्येव वशं नयेत्।।26।। अनुवाद श्रील प्रभुपाद के द्वारा  : मन अपनी चंचलत...