About me
मेरा नाम ऋचा झा है। मैंने हिंदी से ग्रेजुएशन किया हुआ है। मुझे लिखने का बहुत शौक है, इसलिए मैंने ब्लॉगिंग को चुना है।मैं अपने इस ब्लॉग के माध्यम से आप सभी को कहानियां, कविताएं भगवद्गीता, भगवान के बारे में, पूजा पाठ, बहुत सारी रेसिपी बनाने की विधि, योग और आयुर्वेद की जानकारियां और बहुत कुछ बताऊंगी।
नाम : ऋचा झा
ईमेल आईडी : rjha25031978@gmail.com
शहर का नाम : दिल्ली एनसीआर ग्रेटर नोएडा
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श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 6 से लिया गया श्लोक संख्या 36
असंयतात्मना योगो दुष्प्राप इति मे मति:। वश्यात्मना तु यतता शक्योऽवाप्तुमुपायत:।।36।। अनुवाद श्रील प्रभुपाद के द्वारा : जिसका मन ...
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दोहा : निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करें सनमान। तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान।। अर्थ : जो कोई भी राम भक्त...
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* बाल समय रवि भक्षी लियो तब तीनहुं लोक भयो अंधियारो, ताहि सो त्रास भयो जग को यह संकट काहु सो जात न टारो। देवन आनि करी बिनती तब छ...
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हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग हृदय को कहा जाता है ठीक उसी प्रकार आज भागवत कथा का जो प्रसंग मैं अपने ब्लॉग में लिखने जा रही हूं उसे भागवत...