हमें भी कोई पूछ लिया करता कि कैसी हो तबियत ठीक तो है ना,
हमारे भी खाने का कोई ध्यान रखता और पूछता कि खाना खाया की नहीं,
हमारे बीमार होने पर कोई कहता की अरे अभी तक अपना ब्लड टेस्ट नहीं करवाया क्या,
कहीं थायरॉइड तो नहीं बढ़ गया हीमोग्लोबिन तो नहीं कम हो गया,
तुम बहुत थकी थकी लग रही हो अपना ध्यान रखा करो,
अपने हाथों से हमें कोई हमारी दवाई हमें देता और कहता की अरे दवाई तो टाईम से ले लिया करो,
हमारे बीमार होने पर हमें हमारी मा के अंदाज़ में कोई हमारे सर पर प्यार से हाथ फेरता,
बीमार होने पर भी सबके लिए दिन भर काम करने के लिए थोड़ी सी तारीफ कर दिया करता,
लेकिन ऐसा कोई नहीं है जो हमें अपना लगे सिवाय हमारे कान्हा जी के,
जब भी कोई दुख होता सिर्फ़ अपने कृष्णा से बातें करने से थोड़ा मन हल्का लगता,
बचपन में तो फ़िर भी दो लोग थे जिनसे हम अपने मन की बातें करते थे,
वो दो लोग थे एक हमारी प्यारी मां और दूसरे हमारे प्यारे कान्हा जी,
आज की तो ये हालात है हमारी की अगर बहुत ज्यादा बीमार भी हो जाऊं तो किसी से ये जाहिर नहीं करती,
क्योंकि अगर मै किसी से कहूं कि मेरी तबियत ठीक नहीं है तो सबको लगेगा कि मै काम करने के चलते बहाने बना रही हूं,
तो इससे अच्छा है कि मै चाहे कितनी भी बीमार क्यों ना हो जाऊं किसी से कुछ नहीं कहू ,
घर में जो बीमार हैं उनका भी इलाज़ करूं और साथ में अपना ध्यान भी खुद ही रखूं,
क्योंकि मै एक औरत हूं तो मेरा कोई हो ही नहीं सकता चाहे मै किसी के लिए कुछ भी कर लूं,
ये दुनियां की बहुत ही कड़वी सच्चाई है की शादी के बाद औरत का अपना कोई नहीं होता सिवाय भगवान के,
औरत होकर जन्म लेना कितना बड़ा गुनाह है ये एक औरत ही बता सकती है,
कभी कभी ऐसा लगता है कि ईश्वर ने औरत को बनाया ही क्यों,
उसके किस्मत में तो हमेशा कठिनाइयों से जूझना ही लिखा है,
पुरुष पैसे कमा कर लाते हैं तो इसलिए उन्हें लगता है की वो औरतों के उपर जितना चाहेंअत्याचार कर लें ,
उन ज़ालिम पुरुषों को क्या ये नहीं दिखता की एक औरत घर में रहकर उनके और उनके बच्चों के लिए ही पूरे दिन काम करते रहती हैं,
सुन लो ओ सारे पुरुषों बिना औरत के तुम्हारा भी कोई अस्तित्व नहीं,
जब ईश्वर का बिना नारी के कोई वजूद नहीं तो तुम तो एक साधारण से मनुष्य हो,
हमेशा कृष्ण से पहले राधा का नाम और राम से पहले सीता का नाम जुड़ा होता है,
नारायण से पहले लक्ष्मी का नाम और शंकर से पहले गौरी का नाम जुड़ा रहता है,
किसी भी पुरुष के तरक्की के पीछे एक नारी का ही हाथ होता है,
एक नारी चाहे तो घर को स्वर्ग बना देती है और चाहे तो वो घर को नर्क भी बना देती है,
अगर आप सभी अपने घर की औरतों को थोड़ा प्यार और सम्मान दे देंगे तो उसमें आपको एक पैसे खर्चने की जरूरत नहीं है,
आप अगर सम्मान देंगे तो बदले में आपको भी उनसे सम्मान ही मिलेगा,
क्योंकि आप जो दूसरों को देते हैं वही लौटकर वापस आता है।
एक औरत को किसी से और कुछ नहीं चाहिए शिवाय अपने पति और बच्चों से थोड़ा प्यार और थोड़ा सम्मान के।
very nicely written
जवाब देंहटाएंSabse pahle apna dhyan rakhna chahiye kyonki agar hum thik hain tabhi to ghar ke sabhi member ka dhyan rakh payenge
हटाएंhaan sahi baat hai
हटाएंhaan sahi baat hai
हटाएंHumko yehi sikhaya jata h ki ladkiyon ko ghar ka dhyan rakhna hai par ye koi nahi batata ki apna bhi rakhna hai
जवाब देंहटाएंThank you
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